फेसबुक कॉन्टैक्ट नंबर ही नहीं आपके पर्सनल मैसेज भी पढ़ता है...
फेसबुक ने आम लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है। डाटा लीक मामले के बाद लोग अब खुद से सवाल करने लगे हैं कि मैंने फेसबुक के साथ कौन-सा डाटा शेयर किया है? क्या मैंने फेसबुक को इसके इस्तेमाल की इजाजत दी थी या नहीं? और इससे भी ज्यादा ये कि क्या मैंने अपने किसी दोस्त का डाटा फेसबुक को उपलब्ध कराया है जो कैलिफोर्निया के किसी सर्वर में सुरक्षित रखा है.....
मैं भी ऐसे चिंतित आम लोगों में शामिल हूं, जो इन सवालों से जूझ रहा है। पिछले हफ्ते के आखिर में मैंने अपना फेसबुक डाटा डाउनलोड किया। ऐसा करना आसान है। आप सेंटिग में जाइए, उसके बाद 'जनरल अकाउंट सेंटिंग' और फिर 'डाउनलोड माय डाटा' पर क्लिक कीजिए।....
एक घंटे बाद एक ई-मेल मिला जिसमें एक लिंक दिया गया था। क्लिक करने पर 675 एमबी का फोल्डर डाउनलोड होने लगा, जिसमें 2007 में मेरे फेसबुक पर आने के बाद का सारा डाटा था। मेरे सारे फोन नंबर फेसबुक के पास थे। शुरुआत में तो कुछ खास ऐसा नहीं दिखा जो परेशान करने वाला था। मुझे लगा था कि मेरे आज तक पोस्ट किए गए सभी फोटो और वीडियो वहां होंगे और टाइमलाइन पर पिछले 10 साल की जिन्दगी के सभी रोमांचक हिस्से।.....
मैंने देखा कि कुछ सालों तक तो हर वो गाना जो मैंने 'स्पॉटीफाई' पर सुना था, वहां पर दिख रहा था। इसका मतलब ये है कि आप फेसबुक के जरिए जिस किसी बाहरी ऐप पर क्लिक करते हैं तो आपके बारे में फेसबुक और जानकारी इकट्ठा कर लेता है।.....
उसके बाद मैंने 'कॉन्टैक्ट' नाम की फाइल पर क्लिक किया। मैं ये देखकर हैरानी में पड़ गया कि मेरी सारी कॉन्टेक्ट लिस्ट वहीं थी, जिसमें हजारों फोन नंबर थे। ऐसा नहीं था कि सिर्फ फेसबुक के दोस्तों के ही नंबर वहां थे, ब्लकि दूसरे दोस्तों के भी।.....
मुझे याद नहीं कि 2007 में फेसबुक पर आने के वक़्त क्या हुआ होगा। उन दिनों अनजाने में मैंने शायद अपनी कॉन्टेक्ट लिस्ट को अपलोड करने की इजाजत दे दी होगी ताकि देख सकूं कि फेसबुक पर और कौन-कौन हैं। शायद, मेरी गलती थी। लेकिन फिर मैंने ध्यान दिया कि लिस्ट में सबसे ऊपर कुछ नंबर थे जो 10 साल पहले फेसबुक मशीन में नहीं शामिल हुए थे क्योंकि मैंने हाल ही में उन्हें कॉनटैक्ट लिस्ट में जोड़ा था।......
विडंबना देखिए कि इसमें पत्रकार कैरोल कैडवॉलाडर का भी नंबर था जिन्होंने कैंब्रिज एनालिटिका और फेसबुक की पूरी कहानी रिपोर्ट की है। तो इसका मतलब जैसे ही मैं कोई नया नंबर अपनी फोनबुक में शामिल करता हूं तो वो अपने आप फेसबुक के पास भी चला जाता है। मतलब कंपनी मेरी निगरानी कर रही है। फेसबुक के डाटा कलेक्शन का ये एक हैरत भरा उदाहरण है। एक यूजर ने रिपोर्ट किया है कि उसके एंड्रॉयड फोन के सारे टेक्स्ट मैसेज फेसबुक पर स्टोर हो गए थे।
मान लिया कि किसी फेसबुक यूजर ने अपने डाटा को शेयर करने की इजाजत दे भी दी लेकिन उसके दोस्तों ने तो नहीं दी जिनके टेक्स्ट मैसेज या फोन नंबर इकट्ठा किए जा रहे हैं। अगर उन लोगों ने कभी फेसबुक जॉइन ही नहीं किया या अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट भी कर दिया तो भी उनका कुछ डाटा या जानकारी सोशल नेटवर्क पर मौजूद रहेगी ही।
'यूजर्स कैसे करेंगे भरोसा'...
फेसबुक का कहना है कि अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट देना किसी भी मैसेजिंग या सोशल ऐप जॉइन करने की सामान्य प्रक्रिया है और यूजर्स की इच्छा है कि वे ऐसा करें या ना करें। लोगों से पूछा जाता है कि क्या वे अपने फोन के कॉन्टेक्ट अपलोड करने की इजाजत देना चाहते हैं और ये ऐप शुरू करने की एकदम शुरुआत में बताया जाता है। पहले से दी गई किसी जानकारी को लोग डिलीट भी कर सकते हैं........
कंपनी का ये कहना सही है कि ये आम बात है और अगर आपको लगता है कि फेसबुक का आपकी जानकारी इकट्ठा करना गलत है तो ऐपल कंपनी के आईक्लाउड का क्या जहां लाखों लोगों ने अपने आई-फोन का डाटा स्टोर कर रखा है और कॉन्टैक्ट भी। फेसबुक दावा करता है कि ये अपना डाटा किसी के साथ साझा नहीं करता है। दिक्कत ये है कि इसका बिजनेस मॉडल आई-फोन की तरह नहीं है और यूजर डाटा पर काफी निर्भर करता है लेकिन पिछले हफ्ते जो डाटा लीक का मामला सामने आया है, उसके बाद यूजर्स फेसबुक को संदेह भरी नज़रों से देख रहे हैं.....
यह पोस्ट अच्छी लगी तो मेरे Facebok Group से जरुर जुड़े और मेरे Facbook Page को Like जरुर करे अगर कोई परेशानी हो तो Coment करे